Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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जंपिडियासु नरू। पाठिया तष्ठिया कडिपिछी ॥ कडियाठिवेदिया। अहारसपिछिअट्ठीणं ॥ २५ । दो अविछियाई। सोलस गीडिया मुणेयवा ॥ पिठीपहिया वारस किल पंसुली हुँति ॥ २६ ॥ अष्ठियकडाणसिरहारू-बंधणमंसचम्मलेमि ॥ विठ्ठाकोठागारे । को वञ्चघरोवमे रागो ॥ ७॥ जद नाम वचकूवो। निचं निणिनियंति कायकीलीए ।
जे ( मांसना ) पिंडोमां सावळ रहला बे, तेपरज केमनो पाउळनो नाग रहेला , तथा ते केडना हाडकाने अढार पीना दामकांन वींटाइ रहेलां. ॥॥॥ अांखना बे हामका , तथा गरदनना शोळ हामका जाणवां, अने पिठमा रहेली बार पांचसळी . ॥ २६ ॥ एवी रीते हाडकाना मंमाणवाळा नाडी तथा नसोनां बंधनवाला अने मांस त. या चर्मना लपवाळां विटाना कोवारमरखां नया विष्टानाज घरसमान एवां प्रा शरीरने
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६ ॥
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