Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir
सहुल
॥ ए
|
中中中中中山FF*********
॥१॥ ज पेमरागरनो । अवयासेकण गृढमिनालिं ॥ दंतमलचिक्कणंगं । सीमघडीकंजियंअर्थः पियसि ॥ २० ॥ दंतमुसले सुगरणगया । मसे य समयमियाणं च ॥ वालेसु य चमरी|| चम्मनदे दीबियाणं च ॥१॥श्यकाए य ह । चवणमहे निकालबीनले ॥ अतं प्रेमरोगमा आसक्त भइने कुत्सित स्थानने (मुखने ) प्रकाशीने दांतना मेलश्री चीकणा बयेला अंगने (स्वीना होग्ने जे चुंबे) ते (खरेखर ) मस्तकरूपी हांडलीमा (रहेली) कांजीने पीये ॥ २०॥ दाधीना दांतीरूपी मालोनं ग्रहण पायजे, मसला नया हरिणोनु मांस (उपयोगमां आवे ) चमरी गायना वालो (उपयोगी थाय ) तथा
JI सिंहy ( दीपडा, ) चांबडं तथा नख काममां आवे ने (परंतु मनुष्यनुं कई पण अंग हैं. पयोगी नी)॥ २१॥ दुर्गंधवाळा, विनश्वर तना हमेशां बीजन्स एवा ते आ (स्त्रीना)
DEHUEUEtertIFIFAGURGULE
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122