Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 111
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तंडुल ॥ १०९॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लावो, असंतुमवसग्गो, रइवंतो चित्तविप्रमो मगनदादो, प्रणप्रप्यसूया वजासली, अस लिलप्पवाहो समुहरन अवियाई तासि इडीयाणं अोगालि नामानि निरुताल पुरिने का मरागपडिबड़े नालाविदेहिं नवायसदस्मेदिं वदबंधण मारयंति, पुरिसाएं नो नो एरिसो रिति नारीन, तं जहा नारीसमो न नराणं श्ररिनु नारीन, नाणाविदेदिं कम्मेदि पंजाबनारी, मेघविना नृत्पन्न थयेली बीजळीसरखी, जलविना समुइना प्रवादसरखी बे. वळ ते स्त्रीनां निरुक्त एटले गुणनिध्पन्न अनेक नामो बे (जेमके ) कामरागधी बंधायेला पुरुषने, स्त्री ने ते नानाप्रकारना हजारो उपायांवडे करीने वध बंधन तथा मृत्यु प्रते पहोंचा के, माटे पुरुषोनो ते स्त्रीसमान बीजो कोइ एवो अरि एटले शत्रु नथी माटे 'नःरी' केमके नारीसमान पुरुषको शत्रु नथी माटे 'नारी' विविध प्रकारनां शिल्पादिक का For Private and Personal Use Only अर्थः || २० ||

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