Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 121
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir तंडुल 9ka030901 ॥ १ ॥ रीरं । जाइजरामरणयाणाबद्दलं ॥ तद यत्तं का, जे। जद मुञ्चए मबस्कागं ॥१॥ श्यं तंदुलवेयालिअं| पश्नगं जो न चिंता महप्पा ॥ इह परलोए मोनावमल्लु-द्वारकारणं लदा लिव सुरकं ॥१९॥ इति श्रीतंडुलवेवालियपनगमूवं संपूर्ण ॥ श्रीरस्तु ॥ (माटे दे नव्य!) तारे एवारीतनो प्रयत्न करतो जोइये, के जेत्री सर्व दु:खोश्री तुं मुक्त या ॥१७॥ जे महात्मा पुरुष आ तंडुलक्यालियपयनाने प्रा नवमां चिंतवे , ते परतवमेविषे नाबाल्योने नखेमो नाखवाना कारणरूप एवां मोक्षसुखने प्राप्त थाय ॥१॥ एवीरीते आ तुंडलवेयालीवपयन्नानो अर्थ जामनगरनिवासी पंडित श्रावक दीरालाल इंसराजे यथामति करीने पोताना श्रीजैनन्नास्करोदय प्रेसमां मूलसहित स्वपरना श्रेयमाटे गपी प्रसि को . ॥ श्रीरस्तु ॥ ममाप्तोऽयं ग्रंथो गुरुश्रीमच्चारित्रविजयसुप्रसादात् ॥ For Private and Personal Use Only

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