Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 114
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir तंडुल। नरुदरिमणेडिं, नूमिलिहिणविलिनणेहिं च, प्रारूदणनट्टणेदिं य, बालनवगृहणेहिं च, अंगु- अर्थी लीफोमण प्रणपीलण कडितडजायणेहिं तकणेहिं च. ॥शा अधियाई तन पाने वसिन जे, मंकुच खुप्पिन जे, मनुष्य सरिनं जे, अगणिव डाहे आलिंगनोत्री, रातसमयना (सीकारादिक ) शब्दोच्चारश्री, (पाताना ) स्तनोने दखामवाश्री, पृथ्वीपर लेखन नया विलेपनश्री, ( रतिसमये पुरुषप्रते ) पर चडवाश्री तथा नृत्य करवाश्री, बाळकोने आलिंगन करवायी (बातीमा दाबवाथी), आंगळीनना टाचका फोडवाश्री, स्तन दबाववाश्री, केडने मरडवाथी, तथा तजनाश्री (पुरुषने स्त्री मोह - E११२॥ माडी वश करे .) वळी ते स्त्रीनना समागमश्री (पुरुष ) जाणे (पोते ) पासमां पड्यो होय नही, 298196F984999368169FUkan FREEHENE13636 For Private and Personal Use Only

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