Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir
तंडुल
সর্গঃ
..
11.4.
1
॥१०
॥
| वणं दरिहस्स.
अवियाई तान प्रासीविमोविच कुधियान, मनगाविव मगणपरक्सान, बग्घीवित्र दुहिययान, तनकुवोविन अप्पग्गसदिययान, मायाकारनश्वि नवयारसयवंचपनत्तान, पायरियसविधंपिक बहुगप्रमंजवान, फुफुयाश्व अंतोदणमीलान, नगमग्गोवित्र प्रणवसरखी, मोक्षमार्गप्रते नोगलसमान, तथा दरिझना जवनरूप (ते स्वीयो )
वळी ते स्त्री आशिविषसपनीपेठे क्रोधी, मदोन्मत्तदायीनीठे कामन परवदा घयेती, वाघणनीपेठे पुष्ट हृदयवाळी, तृणग्री ढांकेला कुवानी पेठे अप्रकाशित एटले अगम्भ हदरवा
ली, कपटकरनारनीपे उगवाना सेंकडो नपचारोनो नपयोग करनारी, प्राचार्यना समीप| वननीपेठे घणा गन्नौना संनववाळी, अग्निनीपेठे अंत:करणमां दाऊ नपजावनारी, पर्वत
R IAL
4tateAssta.461.01.
॥१०५।
-
O
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122