Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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तंडुल
॥ १०५ ॥
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स्वरली, पजवा मोगस्स, विणसो बलस्स, सूला पुरिसाएं, नामो लजाए, संकरो अविree, निलन नियकीणं, खाली वयरस्त, सरीरं सोगस्म, जेन मझायाणं, श्रासाठ रागरस, निलन चरिश्राणं, माइए संमोदो, खलणी नागस्त, चलणं सीलस्स, विग्घो धम्महम, अरी साहूणं, दूसरां श्रायारपत्ताणं, आरामो कम्मरुस्कल्स, फलिदो मुस्कमग्गस्म, ज तनी मेखलासरखी, हजारांग मे अपराधोंने धरनारी, शोकनी उत्पत्तिरूप, बलना नाशरू प, पुरुषोना कतलखानारूप, लज्जाना नाशरूप, अविनयना ढगलारूप, मायाना वररूप, वैरनी खाणरूप, शोकना शरीररूप, मर्यादानी नाशरूप, रागनी आशारूप, दुराचारना घररूप, मायाना नृत्पत्तिस्थानरूप, ज्ञानने श्रटकावनारी, शीलने चलनकरवारूप, धर्मनी विनरूप, साधूननी वेरण, आचारयुक्त ( पुरुषने ) दूपण आापनारी, कर्मरूपी वृक्षना बगीचा
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अर्थः
॥ १०२ ॥

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