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तंडुल
সর্গঃ
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11.4.
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॥१०
॥
| वणं दरिहस्स.
अवियाई तान प्रासीविमोविच कुधियान, मनगाविव मगणपरक्सान, बग्घीवित्र दुहिययान, तनकुवोविन अप्पग्गसदिययान, मायाकारनश्वि नवयारसयवंचपनत्तान, पायरियसविधंपिक बहुगप्रमंजवान, फुफुयाश्व अंतोदणमीलान, नगमग्गोवित्र प्रणवसरखी, मोक्षमार्गप्रते नोगलसमान, तथा दरिझना जवनरूप (ते स्वीयो )
वळी ते स्त्री आशिविषसपनीपेठे क्रोधी, मदोन्मत्तदायीनीठे कामन परवदा घयेती, वाघणनीपेठे पुष्ट हृदयवाळी, तृणग्री ढांकेला कुवानी पेठे अप्रकाशित एटले अगम्भ हदरवा
ली, कपटकरनारनीपे उगवाना सेंकडो नपचारोनो नपयोग करनारी, प्राचार्यना समीप| वननीपेठे घणा गन्नौना संनववाळी, अग्निनीपेठे अंत:करणमां दाऊ नपजावनारी, पर्वत
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॥१०५।
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