Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 94
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmandie तंडुस पूर य सीसकवालं । पूर य नासं च पूर देहं च ॥ पूर य विविध ! पूय चम्मे- अर्थ E. I य पिण॥ १५ ॥ अंजणगुणसुविसुई। न्हाणुवट्टणगुणेहिं सुकुमालं । पुप्फमिसीय॥एशा केसं । जण बालस्त तं रागं ॥ १ ॥ सीसपुरनति य । पुप्फाण नणंति मंदवित्राणा (आ शरीरमा रहेला) मस्तक, कपाळ, नाशिका, समस्त अंग तथा विज्ञनां फांकां: ए सघलु उगधयुक्त , तेम जे चांबडीश्री आ शरीर ढंकायेलुंगे, ते चांबळी पण महामैधयुक . ॥१५॥ काजळना (श्याम) गुणोश्री शोनावाला, तथा स्नानविलेपनना गु. पोथी सुकुमाल अयेला अने पुष्पोथी मिश्रित श्रयेला एटले शलगारला एवा (युवान स्त्री-Ent२॥ ना) केशो अज्ञानीने राग नपजाव ने ॥१६॥ पुष्पायो (नरला मुकुटने ) जे मूढ अज्ञानीन शीर्षपूरकना (मुकुटना) नामश्री कहे , परंतु ते ( कुदरती) पुष्पो तथा ISRAELESENFIE For Private and Personal Use Only

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