Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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तंडुल
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तो पढम मास करिसूणं पलं जायs, बीए मास पस। संजायए घणा, ए मास मानए डोहलं जग, चनन्छे मासे माऊण अंगाई पीणेश, पंचमे माल पंच पिंडियान पाणिपायं तिरं चेव निवत्ते, उठे मासे पित्तसोणिय नवचिणे, सत्तम मास सत्तसिरासयाई
त्यारवाद पेहेले मासे एक कर्ष नठो एवो एक पलना वजननो ते पाय, (शोळ मासानो एक कर्ष तथा चार कर्षनो एक पल श्राय) पली बाजे मासे ते गनं जरा वधारे कविन पेसीजेवो पाय, बीजे मासे माताने (शुन्नाशुन्नावारूप) डोहाला नपजावे, चोरे मासे माताना (स्तनादिक) अंगोने पुष्ट करे. पांचमे मासे ते मांसपेसामाथी ते (वे) हाथ (बे) पग तथा मस्तकरूप पांच अंगोना (अंकुरा)नीपजावे. उठे मासे पिन तथा रुधिर नपजावे. सातमे माले सातसो नसो, पांचसो मांसपेसीनां (स्थानको)नव धमणी
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