Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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1.1.364
तंहुल उधिहा संगणा पन्नना, तं जहा-समचतरंसे १ निग्गोहे साये । बामणे ४ खुऊ ५ हुंडि- अप्रैः
य. संप खलु पानसो मणुयाणं हुंडे संगणे वट्ट.(गाथा) संघयणं संगणं । नन्वनं आनयं ॥॥ चमणुयाणं ॥ अणुसमयं परिहाया । नमप्पिणीकासदोसणं ॥१॥ कोहमयमायलोना
नुसनं बढ़ए य मणप्राणं ॥ कूडतुलकूडमाणा। ते तणुमाणेण सति ॥॥ विसमा मन ! पूर्वनां मनुष्योनां व संस्थानो कहेला , ते नीचेप्रमाणे-समचतुरस्र १ न्यग्रोध २ मादि ३ वामन ४ कुन ५ तथा हुंड ६ संस्थान. बली हे आयुष्मन् ! हमणाना काळमां । मनुष्योने (तेमानु) हुंडसंस्थान व बे. मागसोनां संघयण, संस्थान, नंचाइ तथा आयुE |
समये समय अवसर्पिणीकासना दोषवडे करीने नब नवां अतां जाय बे. ॥१॥ वली म. नुष्योने प्रायें करीने कोध मान माया तथा लोजनी वृद्धिाय , तेमज कूडां तोलां तथा
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