Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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तंडुल
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मा सुलीयाकरंडे, बप्पंसुलिएकडाहे, विहश्वियाकुछी, चनरंगलिया गीवा, चनपलिया जिप्रा, 5.
पलियाणि अत्रीणि, चनप्पलकवालं सिरं, बत्नीसं दंता, सत्गुखिया जीहा, अपलयं हिययं, पणवीसपलं कालिज, दोअंता पंचवामा पन्नता, तं जहा-यूवंतेयं तणुयतेय, तवणं प्मन् ! आ शरीरमा अनुक्रमे अढार पृष्ट करमकनो संधिन, बार पासळीननो करंड ने, सेमा उपांसळी एकेक पडखे .वैतजेवमी तिबेचार आंगळनी गरदन बे, चार पलजेटली जीन व पलनी आंखोने, चारपलना कपाळवाळं मस्तक, बत्रीस दांतो बे, सात आंगळनी जीन्न , साडात्रण पलनु हृदय , पचीसबलन काळजु , (वळी आ
शरीरमां ) बे अंतो तथा पांच वानो कहेला ले, ते नीचेप्रमाणे-एक स्थूलअंत अने बी. E जो सूक्ष्म अंत, तेमा जे स्थूल अंत ने तेवडे करीने बडी नीत परिणमे , तया जे सूक्ष्म :
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