Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 80
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir तंडुल मणीन, नवननई च रोमकूवलयसहस्साई विणा केससमंसुणा, सह केससमंसुणा अछा- अग्रः रोमकूवकोमीन. ॥ ७ ॥ आनसो! इमंमि सरीरए साहसिगसय नानिप्पन्नवाणं नमामिणीयं सिरमुवागयाणं | जा न रसहरणीनान वुच, जाणंसि निरुवघाएणं चरूखुसोयघाणजीहाबलं च नवइ, जादाढीमूना केशविना नवाणुलाख रोमकूपो , अने मस्तकना तथा दाढीमूना केशोसहित साडावण क्रोम रोमकूपो रे. वळी हे प्रायुष्मन् ! या शारीरमा एकसोसाउनामीन नान्निथी नत्पन्न प्रश्ने नंचे डेक EmsGH मस्तकसुधि गइने, के जे नाडीनने रसहरनारी कडेवामां आवे , तथा जेनने (कंपEM) नपघात न वाथी चक्षु, कर्ण, नाशिका तथा जिह्वानुं बल (स्थिर) रहे थे, तश्रा जे. -FFFFFFFFar. For Private and Personal Use Only

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