Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 86
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir तंदुस। यसिंघाणयचीमलालयं श्रमणुनगं सीसघडीसजियं गवंतिनयणं कन्नुहगंडतालुयप्रवालुया- अर्थः | खिन्नचिक्कणविलिविलयं दंतमलमलबीप्रदरिसणिज, अंसलग्गवाहुलयं, अंगुलीया 1GH गनहसंधिसंघायसंधीयमिणं, बहरसियामारनालबंधमिरारोगहारुबहधमणिसंधिनिपागड. नळी शरीर मस्तकरूपी घटिकावालं, चरबी मजा मांस हामकाजु तथा रुधि. रथी नरेला तुम्बालु, चमनी धमणजेवू, नामिकानो श्लेष्मरूप मेल तथा आंखोना मेलना घररूप, मनने न गमे तेवू, मस्तकरूपी घटिकाशी सङ श्रयेलु, गळती प्रांखोवालु, कान, होठ, लमणां तथा तालुमांधी करता मलीन तथा चीकणा मेलथी बलवलाट करतुं, दांत-En४ || ना मेलथी मलीन अने दुर्गनालायक के दर्शन जेनुं एवु, खानामां लटकाइ रदेल ने हाथ । जेमां एवं, प्रांगळी तश्रा अंगुगना नखना सांधानश्री श्रीगडागडकरेलांजेवू देखातुं, बहु ORNSESEGORIEOUr For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122