Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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तंडुल
अर्थ:
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१॥
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रोदेणं अग्तिान खुननि, पंडुरोगो नवइ, पानसो! इमस्त जंतूम्स पणवीसं सिरान सिंज- धारिणीन, पणवीम सिगन विनधारिणीन, दमसिरान सुक्कधारिणीन; सत्तमिरासयाई पुरिसस्स, तीसूणाई चियाए, बीसूणाई पंडगस्त. आनमो! मस्स जंतूस्त रुहिरस्त आढगं, या वडीनीतना वायकर्मने प्रवर्तावने, अन जो तेनने नपघात पाय तो मत्र तथा वझीनीतना वायुनो निरोध करे , अने तेयो अर्शना (हरसनो) व्याधि कोन पामे , तथा पां. हुरोग ( कमळो ) धाय डे, वळी दे आयुष्मन ! आ प्राणीने पचीस नामीन श्लेष्मने धरनारी, पचीस नामीन पिनने धरनारी, तथा दश नामी शुक्रने ( वीर्य ने) धरनारी . पुरुपने सातसो नाडी दोय , स्त्रीने तेश्री त्रीम नबी एटले बसो सीतेर नाडीच होय , त था नपुंसकने वीस गे एटले उसो एंसी नाडीन होय . वळी हे आयुष्मन् ! आ मनुष्य
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