Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 79
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तंदुल ॥ 99 ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जे से धूलते तेलं उच्चारे परिणम, तनु णं जे से तयं ते तेलं पासवलेणं परिणमइ. दो पासा पत्रत्ता, तं जहा - वामपासे दाहिलपासे, तां जे से बामपासे से सुदपरिणामे, तसं जे दाहिले पासे से दुइपरिणामे नसो ! इमं म सरीरए सहिसंघितयं, सत्तुत्तरि मम्मलयं, तिन्नि श्रद्विदामसयाई, नवनाडियलयाई, सत्तसिरामयाई, पंचपेलीसवाई, नव व बेवडे करीने मूत्र परिणमे बे. वे पासा कडेला बे, ते आप्रमाणे – एक डाबुं पासुं तथा बीजुं जमणुंपासुं, तेमां जे डाबुं पडखुं वे ते सुखना परिणामवाळु बे, तथा तेमां जे जमणुं पडखुं बे ते दुःखना परिणामवालुं बे. वळी हे प्रायुष्मन् आ शरीरमां एकसोसाव सांधा बे, एकसो सीतोतेर मर्मस्थानो बे, त्रणसो दाडमाळा बे नवसो नाडीज वे, सातसो नसो, पांचो मांसपेसीन बे, नव घमलीन ( मोटी नामकीन ) बे मस्तकना तथा For Private and Personal Use Only 0: 199 11

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