Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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तडुल
अर्थ
23.39E9
॥
४॥
एवं खु जरामरणं । परिकवा तम्गुरं च मियजूई ॥ नयणं पिञ्चदमिच । संमूढा मोहजाले
॥ २७॥ पानसो! जंपि इमं सरीरं ठं कंतं पियं मणुनं मणानिगमं धिङ वेयासियं समयं बहुमय अणुमयं नंडकरंडमसमा रयणकरंडनविव सुसंगोवियं चेलपडोविव सुसंपअने सुख पण एकांत नथी, ( माटे एवीरीते)ते त्रण शीघ्रपांग चाल्यां जाय ॥२६ ॥ एवीरीते जरा अने मरणरूपी (पाराधी) पासमां जेम दरिना टोळांन, तेम (मोहरूपी पाममां प्राणीने ) नाखे , परंतु मोहजालमा फसेला ते मूढ प्राणीन ते पाराधिने जोता नभी॥ ७॥ बळी हे आयुष्मन् ! जोके आ शरीर इष्ट मनोहर प्रिय मनोज्ञ मनने ansa खुशीकरनारूं धैर्य उपजावे तेवं विश्वासकरवालायक संमत बहुमत अनुमत मिलकतनी पेटीसरखु रत्नना करंडनीपेठे सारीरीते गोपवीराखवाजेवू वस्वनीपेठे ढांकीराखवाजे, तेल
Enimarati
9FSEE
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