Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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तंदुल सनीसासे । एस पाणुनि वुच ॥३॥ सनपाणूमि से श्रोवे । सत्तयोवाणि से लवे ॥ ल. अर्थः
IF वाणं सत्तहत्तरीए । एम मुहुने वियाहिये ॥४॥ ॥३॥ एगमगस्त णं मुहुनस्स केवइया नुस्तासा वियाहिया ? गोयमा! तिनि महस्सा स
नय । सयाई तेवतरिं च क्रमासा ॥ एस मुदुनो जमिन । सोहि अणंतनाणीदि ॥ ५॥ | श्वासनो एक प्राण कदेवाय ॥ ३॥ एवां सात प्राणोनो एक स्तोक पाय डे मात स्तो. कोनो एक लव थाय ने अने सित्तोतेर लवोनो एक मुहूर्त कहेवाय ते ॥ ४ ॥
(हवे गौतमस्वामी नगवानने पूजे के हे लगवन !) एक मूहूर्जना केटला श्वासो-En६६ ॥ श्वास कह्या ? (त्यारे जगनान कहे ठे के ) गौतम! वहजार सातसोने नहुंतेर श्वासोश्वासोनो एक मुहूर्न सवें अनंतशानीनए कह्यो . ॥ ५ ॥बे नालिकानो (घडीनो)
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