Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
तंडुल
॥ ८४ ॥
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अऊ तुलान । वितमाणि य जलवएसु मालालि ॥ विसमा रायकुलाई । जेल न विसमाई वासाई ॥ ३ ॥ विसमेसु य वासु । हुति असाराई नुसदिबलाई || सहिदुब्बलेण य | प्रान परिहायs नराणं || ४ ||
कूड मापां पण वधे, एवी रीते शरीरना प्रमाणनीसाथे उत्तम पदार्थों घटे बे, तथा हीन पदार्थों वधे बे ॥ ७ ॥ श्र काळमां देशनीअंदर तोलां तथा मापां विषम श्रयेलां बे, तम राजकुलो पण विषम एटले जुलम करनारां ग्रयां डे, अने तेटलामाटे ( दुनियामां ) रहेवानुं पण विषम थइ परुधुं बे ॥ ३ ॥ ( एवीरीते ) दुनियामां रहेवानुं विषम ध इ पड्याधी औषधिनी ( अनाज आदिकोनी ) उत्पत्ति पण असार थर पडी बे, अने तेना
सारणाथी माणसोनुं आयु नहुं श्रयुं बे ॥ ४ ॥
For Private and Personal Use Only
अर्थः
एस

Page Navigation
1 ... 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122