Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 60
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie तंडुल अर्थः ॥५ ॥ FUTURIENEURSESED क प्परुस्केत्रिय प्रलंकियविनूसिए सूश्य पयए नविना अम्मापियरो अन्निवंद. तएणं तं पुरिमं अम्मापियरो एवं वझा जीवे पुत्ता वासनयंति, तंपियाई प्रानयं तम्म नो बहूयं । कल्पवृकनीपेठे अलंकृत तथा वितषित प्रयाका पवित्र अन नद्योगी घइने ( पो ) पोताना मातापिताने नमो. ( पतिता गुरवस्त्यांग्या। माता नैव कदाचन ।। गर्नधार पोपाभ्यां । येन माता गरीयमी ॥१॥ ते वखते मातापिता से पुरुषप्रते (पुत्रप्रते ) एम कदे ने के, हे पुत्र! तुं एकमो वर्षोंसुधि जीवजे. ( हवे गौतमस्वामी नगवानने पु | के हे नगवन् ! तेटलाज वर्जेसुधि जीववा- केम कहे ! त्यारे नगवान कहे जे के दे गौत- E म! (आपंचमकाळमां ) मनुष्यनुं लेटलुंज आयु होयठे तेश्री वधारे होतुं नश्री. अने एवीरीते सोवर्षोसुधि जीवतोश्रको ते वीस जुगोसुधि जीवे , वीस जुगोसुघि जीवतोश्रको ते ..."FSHESESSIFIE" n For Private and Personal Use Only

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