Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 50
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तेलं ॥ ४८ ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पदमरगलनिनरं बजूए निचियकुंचियपयाहिलावत मुदमिरया, लस्कराने जा तुला ववेया माणुम्मालप्यमाणप कि पुन्न सुजाय सवंग सुंदरंगा, ससिसोमाकार कंत पियदसणा, सनाव भिंगारचारुरूवा, पासाइया, दरसलिका, अनिरुवा, पडिवा. तथा काजल जेवा, मदोन्मत्न जमराना समूदजेवा, सघन बयेला, सारीरीते गुंग्रीने गोठवेला भने दक्षिणावतंत्राला के मस्तकना केशो जेतना एवा. लक्षण एटले रेखादिक, तथा व्यंजन एटले मतिलकादिक, तेनुना गुणोयें करीने युक्त एवा, मान उन्मान तथा प्रमाणश्री संपूर्ण, तथा सारीरीते गोठवायला सर्व अंगोवडे करीने सुंदर शरीरवाळा, चंसरखा शांत प्राकारश्री मनोहर तथा प्रिय के दर्शन जेवनुं एवा, कुदरती शृंगारथीज मनोदर रूपवाळा, प्रसाद उपजावनारा, दर्शन करनालायक, मनोहर रूपवाळा, तथा अनुपम रूपवाळा ( ( पु· For Private and Personal Use Only अर्थः ॥ ४० ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122