Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir
.909s
तंदुल मग्गसुश्चंदइसंठियनिलामा, नदुवापडिपुत्र सोमवयणा, उनागारुनमंगदेसा, घणनिचियसु- अर्थः
लस्कणुनयकूडागारनिरुवमपिमियग्गसिरा, हुयवइनिइंतधोयतत्ततवाणिजकेसंतकसनूमी, सा. ॥ UDE मतियचूडघणनिचियोडियमनविसयसुहमलकणपसत्य सुगंधिसुंदरभुयमोयगनींगनीलक
सरखं शांत ने मुख जेनु एवा, बना प्राकारजेवो मस्तकनो प्रदेश जेननो एवा, अत्यंत पुष्ट अने शुक्ष लक्षणोवाळो, नचो तथा शिखरजेवा आकारवालो, अने अनुपमरीते। पिंडित श्रयेलो जे मस्तकनो अग्र नाग जेननो एवा, अग्निमां धमेला माफ करेला तथा तपावेलां एवां सुवर्णसरखो ठे केशोने नगवानी केशभूमि जेनुनी एवा, साल्मलीवृतनी घ- 3 टासरखा अत्यंत निचित प्रयेला, लांबा, कोमलताना विषयवाला, सूक्ष्म, उत्तमलक्षणोवा। सा, सुगंधि, सुंदर, नूत तथा मोचकजातिना (श्याम रंगना मणि ) जेश, नींगोडां गली
9696,16SHESH
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122