Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२३
तंडुल°// तोवधम्माणुरायरते. से णं जीव धम्मकामए, पुनकामए, सम्मकामए, मुस्ककामए, धम्म अर्थः
कंखिए, पुनकंखिए, सग्गकंखिए, मस्ककंखिए, धम्मपिवासिए, पुनपिवासिए, सम्गापवामिए, मुस्कपिवासिए, तच्चिने, तम्मणे, तल्लेले, तदनवसिए, तत्तीवनवसिए, तत्तीवनवसाणे, | एयनो अन्निलाषी, स्वर्मनो अन्निलाषी, तथा मानो अन्जिलापी थाय ने वळी ते धमनी | वांगवालो, पुण्यनी वांगवालो, स्वर्गनी वांगावालो, मोदनी वांगवालो, धमनी तृष्णावालो, पुन्यनी तृष्णावासो, स्वर्गनी तृष्णावालो, मोक्षनी तृष्णावालो, तेमांज चित्तवालो, ते. मांज मनवालो, तेनीज लेश्यावालो, तेनाज ध्यानवालो, तेनाज तीव्रध्यानवालो, तेनाज ती-॥ २२॥ व अध्यवसायवालो, तेमांज प्रेम करनारो, तेमाटेज उपयोगवालो, तथा तेज नावनायी | नावित यएलो, ( ते गन्नगत जीव ) जो त ( पूर्वोक्तविचारवाला) समयनी अंदर मृत्यु पा.
REMEDIEHatataka
HESENENEFIFIFAFFAFREED
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122