Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तडुल ॥ २० ॥ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रगत समाणे नरइए गए नववलेजा, अडेगइए नो नववजेला. जीव जंते गनगए समाले देवलोगेसु नवत्र ओखा ? गोयमा ! गाइए नवबोजा, गए तो ना. से केलाठेलं अंत एवं वुश्चइ ? अंडगइए नववडेजा, अबेगइए नो गाळे मृत्यु पामी जाय, ता ते नरकमां नृपजे. अने ते देतुनथी हे गौतम! एम कहेवामां आवे छे के, गर्भमा रहेला जीवोमाना कटलाक मृत्यु पामोने नरकमां नपजे, तथा केटला - 'कन पण उपजे. (वळी गौतमस्वामी जगवानने पूबे के के ) हे जगवन ! गर्भमा रहेला जीव ( मृत्यु पामीने ) देवलोकांमां उपजे ? (त्यारे जगवान् कदे बे के ) हे गौतम! केटलाक (देवलोकी मां ) उपजे, तथा केटलाक न पल उपजे. (त्यारे फरीने गळमस्वामी पूढे बे के ) For Private and Personal Use Only अर्थः ॥ २० ॥

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