Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir तंडुलक अयः EEEEEEEEEEEEEEEF या अत्रयरं वयाइ, तं जहा-इश्री वा इत्थीरूवेणं, पुरिसंवा पुरिसरूवशं, नपुंसगं वा नपुंसगरूव- णं, बिंबं वा बिरूवणं. अप्पं सुकं, बहु नये, बी त जाय,अप्पं नयं,बहु सुक्के, पुरिसात| जाया. उबंपि रत्नसुकाणं तुल्लनावे नपुंसन. छीन यसमानगे बिंब तनु जायई. अह गं न ! त्यारबाद ते माता नव मासो गये उते, अथवा संपूर्ण दोते बते, अथवा अनागत एटले ते नवमालथी नंगी मुदतमा पण ( हव आगल कहवाता)चारमाना एक प्रकारना | (जीवने.) प्रसवे बे, ते नीचेप्रमाण-स्त्रीरूपें स्त्री, प्रश्रवा पुरुषरूं पुरुष, अथवा नपुंसकरूपें नपुंसक, अथवा विवरूपे बिंबने प्रसव . जो स्वरूप ( पितासंबंधी ) वीर्य अने घ- | ( मातासंबंधि ) रुधिर होय ता स्त्री प्रसवे. जो स्वल्प रुधिर अने घणुं वीर्य होय तो पुरुष प्रसंव. तथा वाय अने रुधिर बन्न जो सरिखां होय तो नपुंसक प्रसव. अनेक JEHEAF11EAFFAEIFESE ६॥ FEEEEEEEE For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122