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तंडुलक
अयः
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या अत्रयरं वयाइ, तं जहा-इश्री वा इत्थीरूवेणं, पुरिसंवा पुरिसरूवशं, नपुंसगं वा नपुंसगरूव-
णं, बिंबं वा बिरूवणं. अप्पं सुकं, बहु नये, बी त जाय,अप्पं नयं,बहु सुक्के, पुरिसात| जाया. उबंपि रत्नसुकाणं तुल्लनावे नपुंसन. छीन यसमानगे बिंब तनु जायई. अह गं न ! त्यारबाद ते माता नव मासो गये उते, अथवा संपूर्ण दोते बते, अथवा अनागत एटले ते नवमालथी नंगी मुदतमा पण ( हव आगल कहवाता)चारमाना एक प्रकारना | (जीवने.) प्रसवे बे, ते नीचेप्रमाण-स्त्रीरूपें स्त्री, प्रश्रवा पुरुषरूं पुरुष, अथवा नपुंसकरूपें नपुंसक, अथवा विवरूपे बिंबने प्रसव . जो स्वरूप ( पितासंबंधी ) वीर्य अने घ- | ( मातासंबंधि ) रुधिर होय ता स्त्री प्रसवे. जो स्वल्प रुधिर अने घणुं वीर्य होय तो पुरुष प्रसंव. तथा वाय अने रुधिर बन्न जो सरिखां होय तो नपुंसक प्रसव. अनेक
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६॥
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