Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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तंदुल गसन्निन्नपीयरश्यपीवरपनसंठियनुचियोचरसुवसुमिलिट्ठपञ्चसंधी, रतुप्पलोचियमनयम- अर्थः
सललस्करापसअहिदजालपाणी, पीवरवट्टियसुजायकोमलवरंगुलिया, तंबतक्षिणसुश्रुश्र॥४॥| निघ्नहा, चंदपाणिरेहा, सूरपाणिलेहा, संखपाणिलेहा, चक्रपाणिलेहा, सोवियपाणिखेदा,
शेषनागनी विस्तीर्ण फणासरखा तथा महोटी नोगळसरखा लांबा ने हाथ जेनना एना, घोसरासरखा पुष्टरीते रचेल एवा मजबूत प्रकोष्टमा रहेल, तथा मांसयुक्त स्थिर वर्नुलाकारवाळी अने सारीरीते मळी.गयली पर्वोनी संधि जेनन एवा, लाल कमलसरखी, पुष्ट कोमल, मांसयुक्त, उत्तम लक्षणोवाळी तथा विहित ने हथेली जेन्नी एवा. पुष्ट, गो-Ehs.!
लाकार, सारीरीते मोठवायेली, कोमळ अने नत्तम ने आंगलीन जेननी एवा, लाल तळी. || वाळा, पवित्र, मनोहर अने स्निग्ध ने नखो जेनना एवा, हश्रेलीमा चश्नी रेखावाळा, IEL
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