________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir
तंदुल गसन्निन्नपीयरश्यपीवरपनसंठियनुचियोचरसुवसुमिलिट्ठपञ्चसंधी, रतुप्पलोचियमनयम- अर्थः
सललस्करापसअहिदजालपाणी, पीवरवट्टियसुजायकोमलवरंगुलिया, तंबतक्षिणसुश्रुश्र॥४॥| निघ्नहा, चंदपाणिरेहा, सूरपाणिलेहा, संखपाणिलेहा, चक्रपाणिलेहा, सोवियपाणिखेदा,
शेषनागनी विस्तीर्ण फणासरखा तथा महोटी नोगळसरखा लांबा ने हाथ जेनना एना, घोसरासरखा पुष्टरीते रचेल एवा मजबूत प्रकोष्टमा रहेल, तथा मांसयुक्त स्थिर वर्नुलाकारवाळी अने सारीरीते मळी.गयली पर्वोनी संधि जेनन एवा, लाल कमलसरखी, पुष्ट कोमल, मांसयुक्त, उत्तम लक्षणोवाळी तथा विहित ने हथेली जेन्नी एवा. पुष्ट, गो-Ehs.!
लाकार, सारीरीते मोठवायेली, कोमळ अने नत्तम ने आंगलीन जेननी एवा, लाल तळी. || वाळा, पवित्र, मनोहर अने स्निग्ध ने नखो जेनना एवा, हश्रेलीमा चश्नी रेखावाळा, IEL
999606363699RUFDMsgegneepak
HESF9G9kakkU090FUFAEafEASE
For Private and Personal Use Only