Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir . तंडुल 0 . ॥२॥ 91AtaHEutu. जाई सर न अप्पणो ॥२॥ विसरसरं रमता । सो जाणीमुहान निप्पडा ॥ मानुए अप्पणोवि अ । वयणमनलं जणमाणो ॥ ३ ॥ मप्रघरंमि जोवो । कुंनीपार्कमि नरयसंकासे || वुलो अमिनमग्ने । असुश्पन्नव असुश्यंमि ॥४॥ पित्तस्स य सिंजस्स य । सुक्कस्स य साणियस्सवि य मने ।। मुनस्म य पुरिमस्स य करुणास्वरे रुदन करतोयको, माताने तथा पोताने पण अतुल्य वेदना नपजावतोथको योनिमुखयकी ( बहार ) पसे . ॥ ३॥ ते जीव कुन्नीपाकतुल्य, नरकसरखा, अशुचिश्री न त्पन्न अयला तथा अशुचि, अने विष्टाथी खरमाएला ते गन्नीवासनी अंदर रहे ॥४॥ ___वळी जेम पित्त, श्लष्म, वीर्य, रुधिर मूत्र, तथा विष्टानी अंदर कृमि नत्पन्न बाय २ (तेम ते जीव गन्नावासमां ) नुत्पन्न श्राय रे. ॥ ५ || माटे एवीरीते जीवना जे शरीरनी । 96.14.94DAIFILESERESERESER+Ut ॥२७॥ For Private and Personal Use Only

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