Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir तंडुल अर्थः katataka39HI1099FREE पज्जा र ॥ १० ॥ तश्यं च दसं पत्तो । पंचकामगुणो नरो ॥ समझो भुजिनं नोए । जव से अति घरे धुवा ॥१॥ चनबीन बला नाम । जं नरो दस मिस्सा ॥ समन्बो बतं दरिसेनं । जश्न निरुबद्दवो !॥ १२ ॥ पंचमीन दसं पत्तो । आणुपूच्ची जो नरो ॥ समझो अहं चिंतेनं । कुटुंबं चालिग ॥१३॥ बठीन हायणी नाम । जं नरा दसमिस्मिन॥ अंदर तीव्र अन्तिलाष नत्पन्न श्रतो नयी ॥ १० ॥ पनी त्रीजी दशाने प्राप्त ग्रयेलो ते जीव पांचे इंडियोना विषयोनो अन्निलाषी अयोधको, जो तेना घरमा ( लक्ष्मी) होय तो ते नो. गोनोगववाने समर्थ श्राय .॥ ११ ॥ पग जे मनुष्य चोथी बला नामनी दशाने प्राप्त | श्रयो , ते जो नपचरहित होय तो ( पोतानं ) बल देखाइवाने समर्थ थाय ठे.॥१२ !! तथा पठी अनुक्रमे पांचमी प्रज्ञादशाने प्राप्तथयेलो'ते'जीव'च्योपार्जन करवाना' विचारो BEFRESHEREBEESESEBFSEkt | For Private and Personal Use Only

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