Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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अर्थाः
२
तंडुलविरजिश्न कामेसु । इंदिएसु पहायज्ञ ॥ १५ ॥ सनमाए पचाए । जं नरो दसमिस्सिन
निच्चुन चिक्कणं खेलं । खासई य खणे खणे ॥ १५ ॥ संकुश्यतणुचम्मो । संपनो अलमी दसं ॥ नारीणं अणिठो य । जराए परिणामिन ॥ १६ ॥ नवमी संमुदीनाम । जं नरा करवाने समर्थ थाय, तथा कुटुंबनो निर्वाह चलाववानी श्छा करे ॥ १३॥पी नछी हायनी दशाने जे मनुष्य प्राप्त भयो , ते कामनोगोनेविषे विरक्त थायो, तथा तेनी इंदिन शिथिल श्राय डे. ॥ १४ ॥ तेवारपठी सातमी प्रपंचानामनी दशान जे मनुष्य प्राप्त भयो जे, तेने चीकणा बळखा पडे , तथा तेने कण कण धरस आवे . ॥ १५ ॥ पनी पाठमी प्राग्नारानामनी दशाने प्राप्त अवाथी तेना शरीरनी चांबडी करचलीवाळी श्रायडे, तेमजते घडपणना परिणामश्री स्त्रीनने अनिष्ट ( गमे नही तेवो)लागेने, ॥ १६ ॥ पनीन
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