Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir तंडुल अप्रैः FFIEFat3692FFFFF गोयमा! अगइए नववऊज्जा, अगए नो नववजजा. स केणठणं नंते एवं वुच्च ? जीवेणं गनगए समाणे नरएसु अगइए नववजेजा, अगइए नो नववजेज्जा ? गोयमा! जेणं जीवे. हाडकां, दामकानी अंदरनी मजा, तथा केश दाढीमूना वाळ रोम अने नख. (व की गौतमस्वामी पूजे के ) हे जगवन् ! गर्नमा रहेतांश्रकांज जीवो ( मृत्युपामीने) शुं नरकमां नपजे ? (त्यारे नगवान कहे जे के ) हे गौतम! (ते गर्भगतजीवोमाना केटला. क मरीने ) नरकमां उपजे, तथा केटलाक न पण उपजे. (त्यारे बळी गौतमस्वामी पूरे डे के ) दे जगवन् ! एम आप शा हेतुश्री कहोगे के, गर्नमा रह्या थकाज केटलाक जी. वो ( मरीने,) नरकमां नपजे, तथा केटलाक न पण उपजे ? (त्यारे नगवान कहे जे के गौतम! जे जीव गर्नमा रह्योथको संझी पंचेंक्ष्यि (आहार, शरीर २, इंडिय.. 39SE991849993FSESFAFF954 ॥१७॥ For Private and Personal Use Only

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