Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth Author(s): Shravak Hiralal Hansraj Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir अर्थ: FDESEDEBAREta तदुख० खसयपुहत्तं । बारसवासान गस्त ॥ १५॥ दाहिणछ। परिसस्स । हावामाए इश्वीया. Ba य ।। नन्नयंतर नपुंसे । तिरिए अठेव वरिसाई ॥ १६ ॥ इमा खलु जीवा अम्मापिनसं. नत्कृटो गन्नावासनो काळ वार वर्षासुधिनो जावो. ॥१५॥ नारीण गप्रसंखा । इग. दो तिन्नि यहोश नियमेणं । तिरियाणं नारीलं नव लस्का दाइपनेयं ॥॥ तिरियाण चननेन । कखुरा दाखुरा य सुणहा य ।। गंडापयाण य लिया। दो गप्रा इगखुराईएणं ॥२, उखुराणं तिय गना । तेसि मने विसस कहियं तु ।। सुयराणं तद सोलस । बा. रस गाय सुणहाणं ॥३॥ सेसाणं सुणहार । चत्वारिय होइ पंच जीवारां ॥ गंडीपया. दो गन। पणवीसं होई खयराणं ॥ ४॥ * ॥ १५ ॥ हवे स्त्रीना जमणा परखामांपु. रुपनी गत्पत्ति जाणवो, डाबा पडखाभां स्त्रीनी जाणवी, तथा त बनेना वचला नागमां न IFE+++NEFREE4825EHEAF ॥३ ॥ For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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