Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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तंडुलणाविहान रसविगश्न तिनं कडुये कसायं अंबिलं महुराई दवाई आहारेइ, तम एगदसणं नय- अर्थः
माहारे. तस्ल फलबिटसरिमा । नप्पलनालोवमा नव नानि || रमहरणी जगणीए । सयाई नानिए पडिवा ॥॥नान्निए तीए गप्रो नयं पाईयाएतिए नयाए तीए ग.
हेलो जोत्र केवा प्रकारनो आहार लहे ? (त्यारे नगवान कदे के) दे गौतम! ते गर्न Eनी माता जे नानाप्रकारना रसो, विगयो, तिरका, कडवां, कसायला, खाटां अने मधुर -1
व्योनो आहार करे, तेनमांधी एकदेशे ते गर्भगत जीव पण पाहार कर. केमके ते गन्ने | फलना डीटीयां सरिखी, कमलनी नालजेबी नानिपर रसहरण। नामनी नामी होयळे, अ ॥ १५ ॥ नते मातानी नातिनीसाचे जेडाएलीहोय ते नान्नि मारफत ते गन्नंगत जीव माताए आहार करेला व्यानो रस ग्रहण करे , अने तेवीरीते अाहार करवाश्री ते गर्न जन्मप
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