Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तंडुल ।। १६ ।। ३ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रे विवश, जान जानुत्ति, करणं अंते मान अंगा पन्त्रता ? गोयमा! तनुं मान अंगा पन्त्रता, तं जहा - मंस सोलिए मत्थुलिंगे. करणं अंत पिअंगा पन्नता ? गोवमा ! त पिगा पंनना, तं जहा हिमा के समंसुरोमनहा. जीवेणं जेते गनगए समाणे नरएस नववा ? येत वृद्धि पामे वे. ( बळी गौतमस्वामी पूबे के के ) हे जगवन् ? ते जीवने माताना केट: वां अंगो होय ? ( जगवान कहे वे के तेने त्रण माताना अंगो होय, त प्राप्रमाणे मांस, रुधिर अने कपाळनुं जेजुं. ( वळी गौतमस्वामी पूठे वे के ) हे जगवन! त्यारे तेने पिताना केटल अंगो होय ? ( जगवान कड़े वे के ) हे गौतम! तेने त्रण पिताना गो दोय, ते प्रमाणे For Private and Personal Use Only अर्थः ।। १६ ।।

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