Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir तंहुल " . ॥ १ ॥ FI.... 49649696.UPHEN99691191 ? जीवस्त गप्रगयस्तमाणस्स नत्यि नचार वा जाव सागिएइ वा ? गायमा! जीवणं | अप्रैः गप्रमए समाणे जं श्राहारमादार तं निणाइ सोइंदियनाए, चरिकंदिअनाए, घाणिदिअत्ताए जिप्रिंदिअनाए, फासिविताए, अहिमिंजकेसमंसरोमनदत्ताए. से एणणं गोयमा एवं वु. | रने अवे ? (त्यारे नगवान कहे ते के ) दे गौतम ! ते अर्थ समर्थ नश्री ( अति दे गौ तम! ते पूढेला नपरना सवालोमांधी गर्नमा रहलो जीव कं पण करतो नश्री, स्यार गौ. | तमस्वामी फरीने नगवानने पूरे ले के ) हे जगवन ! त्यारे एम शादतुश्री कहेवामां आवे ले के गर्भमा रहेला जीवन विष्टा करवानुं न होय ( त्यांश्री ) बैंक रुधिर श्रवणकरवानुं ॥११॥ न होय? (त्यारे नगवान कहे ने के) हे गौतम ? गर्भमा रहेलो जीव जे आहार करे, ते पाहारने ते अवरोंश्यपणे, चक्षसिंडियपणे, नाशिकेश्यिपण, जिशियपणे, स्पर्शश्यपण .44 6 For Private and Personal Use Only

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