Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth Author(s): Shravak Hiralal Hansraj Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir तंडुल अर्थः RRENE --036363693EBEEtakarRESEatara कोसायारं जागि । संपत्ता सुक्कमीसिया जश्या तश्या जीवुववाए। जोगा नगिया जिएवंदेहि ॥ ११॥ बारस चव मुहना। नवा विस ग सान॥ जीवाणं परिसंखा । - स्कपुहुतं च नकोसं ।। १२ ।। पणपरमाय परणं । जोण। पमिलायए महिलियाणं ॥ पणसत्तरीय परत । पाएण पुमं | अवाश्री रुधिरना बिंदुनोने ऊरे ॥ १० ॥ हवे ते रुधिरबिंडो पुरुषना वीर्यश्री मिश्रित श्र. | जेटला ते कोशाकारयोनिमां प्राप्त प्रायने, तेटला ते बिंदुन जीवनी नत्पत्तिने लायक जिनेश्वरोए कह्याने. ॥ ११ ।। हुवे बार मुहूर्त उपरांत ते योनि नाशपाम तम्रा तेनी अंद- र नत्कृष्टा एक लाखथी नव साख सुधिनी संख्यावाळा जीवो नत्पन्न श्रायडे. ॥ १२ ॥ प्रायें करीने पचावन वर्षवाद स्वीनी योनि प्रस्तान (गनोत्पत्तिमाटे अयोग्य ) ग्राय R AFREENEDERFARStaf ॥५॥ For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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