Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth Author(s): Shravak Hiralal Hansraj Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir तंडुल प्रया ॥४॥ BIHEREFERESTHA या पन्नवीसा य॥3॥ नस्सासा नीसासा| एतियमित्ता दवंति संकलिया ॥ जीवस्स ग. प्रवासे । नियमा दीणादिया एता ॥ ॥ श्रावतो! डीए नानिहिछा । सिरादुर्ग पुप्फनालियागारं ॥ तस्त य दिला जाण।। अहोमुहा संविधाकोसा ॥ ॥ ॥ तस्स य हिठा चूयस्म । मंजरी तारिसा न मंसस्त ॥ ते रिनकाले फुडिया । मोणियलवया विमुचंति ॥१०॥ वळी ते जीवने गावासनी अंदर प्रण क्रोड, चौद लाख, दश हजार, वसा अने पची| स॥ ७ ॥ एटला श्वासोश्वास. एका कर्यायी प्रायें चाय , तेमज तेश्री नठा अधिका पण प्राय . ॥ ७॥ दे आयुष्मन ! स्त्रीनी नालिनीच पुष्पनातिकाजेवा प्राकारवाळी बे नामी- ॥४॥ न होय , अन तेनी देठे नीचे मुखवाळा पुष्पना मोडाने प्राकार योनि होय. ॥ ए॥ तेनी नीच आंबानी मांजरसरखी मांसनी मांजर होयळे अने ते मांजर तुसमये स्फुटित /E1 For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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