Book Title: Tandul Vaiyalia Payanna Sarth
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie तंडुल RELESED व॥ गमि वसा जीवा। नवमहारत्नम च॥४॥एए अहोरत्ता । नियमा जीवस्त गप्रवासंमि ॥ होणादिया न इत्तो । नवधायवलेण जायंति ॥५॥ अठ्ठ सहस्सा तिन्निन । सया मुदत्ताण पन्नवीसाय ॥ गगन वसइ जीवो । नियमा होणाहिया इनो ॥६॥ तित्रिवय कोमीन । चनसय हवंति सय सहस्साई॥ दस चेव सहस्साई । दोनि सवसो साडासीतोतेर दिवस, अर्थात् नव मास अने सामासात दिवस रहजे.॥४॥ नपर कहेली मंख्यावाळा रात्रिदिवसो प्रायें करीने जीवने गावासमा रहेतांथकां यायचे. परं तु नपघात ( गर्जदोष ) आदिकना कारणथी तेथी नग अधिका दिवसो पण प्राय . 1410 वळी ते जीव आठ हजार प्रणतो अने पचीस मुहूर्तमुधि प्रायें करीने गावासमां रहे F, तेमज तेथी ना अधिका काळसुधि पण गर्नमा रहे ॥६॥ FORSEEDEUFFEIFIERIFIER *MURDERE16333EBENE ॥ For Private and Personal Use Only

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