Book Title: Subodh Samachari Author(s): Macchindracharya Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund View full book textPage 8
________________ श्रीचन्द्रीया सामाचारी सम्यक्त्वविधिः ॥२॥ अन्नउत्थिए वा इत्यादि जाव अणुप्पयाउं वा, नन्नत्थ रायाभिओगेणं जाव कतारेणं, तं च चउन्विहं-दव्वओ खेत्त- ओ कालओ भावओ, दव्वओणं दसणदव्वाइं अंगीकाऊणं, खेत्तओणं उडुलोए वा अहोलोए वा तिरियलोए वा, कालओ गंजावज्जीवाए, भावओ णं जावगहेणं न गहिज्जामि" इत्यादि पूर्ववत् ताव मे एसादसणपडिवत्ती, 'इय मिच्छाओ विरमिय सम्म उवगम्म भणइ गुरु पुरओ। अरहंतो निस्संगो मम देवो दक्खिणा साह॥१॥" वारत्रयं गाथापाठं भणित्वा वासे सिरसि खिवइ, गुरू तदनु निषद्यायामुपविश्य गन्धाक्षतानभिमन्त्रयेत्, तओ गुरू वासे गिहित्ता लोगुत्तमाणं पाएसु छुहइ, तओ कमेण साहुसाहुणिसावयसावियाणं वासे अक्खए य देइ, तओ वंदित्ता सीसो भणइ-तुब्भे अम्हं सम्मत्ताइसामाइयं आरोवेह, गुरू भणइ-आरोवेमि १, पुणो भणइ-संदिसह किं भणामि ?, गुरुराह-वदित्तुं पवेयय२, पुणो भणइ-तुब्भेहिं अम्हं सामाइयतियमारोवियं, गुरू भणइ-आरोवियं आरोवियं खमासमणाणं हत्थेणं सुत्तेणं अत्थेणं तदुभएणं गुरुगुणेहिं वड़ाहि नित्थारगेपारगा होह, सीसो इच्छामोऽणुसटुिंति भणइ ३, तओ वंदित्ता भणइ-तुम्हाणं पवेइयं संदिसह साहणं पवेएमि, पवेययेति गुरू भणइ ४, तओ पुणो वंदिय १-पवयण पासे चक्के वज्जे परमेट्ठिमंगलं सुरही। गुरुडे पवज्ज मुम्गा इचाइ हवंति मुद्दाओ। १।२-निस्तारकः प्रतिज्ञायाः । पारगःसामान्यसाधगुणानाम। Join Education For Private & Personal Use Only naw.jainelibrary.orgPage Navigation
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