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६. संदेशरासक, संपा०-आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी तथा विश्वनाथ त्रिपाठी, चतुर्थ
संस्करण १९९२, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली, पृ० १४३. ७. वही, पृ० १५५ के आधार पर। ८. वही, पृ० १५६. ९. वही, पृ० १५७.
वही, पृ० १७४. ११. वही, पृ० १७५. १२. वही, पृ० १७७. १३. वही, पृ० १८०. १४. वही, पृ० १८६ एवं १८८. १५. वही, पृ० १९०. १६. हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योगदान, पृ० २४०.
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