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संवत् १४४६ वर्षे वैशाख वदि ११ बुधे ब्रह्माणगच्छीय भट्टारक श्रीमदनप्रभूसरि पट्टे श्रीविजयसेनसूरि पट्टे श्रीरत्नाकरसूरिपट्टे श्री हेमतिलकसूरिभिः पूर्वं गुरु श्रेयार्थं रंगमंडप: कारापितः।। मुनि जयन्तविजय, सम्पा०- अर्बुदाचलप्रदक्षिणाजैनलेखसन्दोह, लेखांक ६८. बुद्धिसागरसूरि, सम्पा०- जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग २, लेखांक ५१२. नाहर, पूर्वोक्त, भाग २, लेखांक १४३४.
एवं
बुद्धिसागरसूरि, पूर्वोक्त, भाग १, लेखांक ३३५. शिवप्रसाद, 'ब्रह्माणगच्छ का इतिहास', श्रमण, वर्ष ४८, अंक ७-९. ब्रह्माणगच्छीय मुनिजनों द्वारा प्रतिष्ठापित जिन प्रतिमाओं की तालिका, लेखांक
८२, ८४, ८५, ८८ एवं ९०. ७. वही, लेखांक ९३, ९५, ९७, ९८, ९९, १०३, १०७ एवं १०८. ८. वही, लेखांक १०५, ११०-११४, ११६ और ११९.
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