Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 9
________________ (६) वर्त्तीनी शुद्धि ॥ ज० ॥ ए आंकणी ॥ मंगलिक मुकुट वर्द्धन घणा ए, बत्रीश सहस नरेश ॥ ज० ॥ ३० ॥उम उम वाजे बंदशुं ए, लाख चोंराशी निशान ॥ ज० ॥ लाख चोराशी गज तुरी ए, तेहनां रत्ने जति पला ण ॥ ज० ॥ ३३ ॥ लाख चोराशी रथ जला ए, वृषन धोरी सुकुमाल ॥ ज० ॥ चरणे कांऊर सोना त ए, कोटे सोवन घूंघरमाल ॥ ज० ॥ ३४ ॥ (मो हन रूप दोसे जलां ए, सवाकोमी पुत्र जमाल ॥०॥ ) बत्रीस सहस नाटक सही ए, त्रण लाख मंत्री दक्ष ॥ ज० ॥ दीवीधरा पंच लख कह्या ए, शोल सहस सेवा करे यह ॥ ज० ॥ ३५ ॥ दश कोमी लंबध्वजा धरा ए, पायक व कोमी ॥ ज० ॥ चोशठ सहसते उरी ए, रूपे सरखी जोमी ॥ ज० ॥ ३६ ॥ एक लाख सहस डावीश ए, वारांगना रुपनी अलि ॥ ज०॥ शेष तुरंगम सवी मली ए. कोमी अढार निहालि ॥ ज० ॥ ॥ ३७ ॥ त्रण कोमी सायें व्यापारीया ए, बत्रीश कोमी सूखार || || शेठ सार्थवाह सामटा ए, रायराणानो नहिं पार ॥ ज० ॥ ३० ॥ नवनिधि चौद रयपशुं ए Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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