Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 80
________________ (39) दीधो आदेश ॥ आदिनाथ तणो देहरो, जरतें कराव्यो गिरि सेहो ॥१५॥ सोनाना प्रासाद उत्तंग, रत्नतणी प्रतिमा मनरंग ॥ जरतें श्रीआदीश्वर तणी, प्रतिमा स्थापी सोहामणी ॥ १६ ॥ मरुदेवीनी प्रतिमा वली, माही पूनम थापी रली ॥ ब्राह्मी सुंदरी प्रमुख प्रासाद, बरतें थाप्या नवले नाद ॥१७॥ एम अनेक प्रतिमा प्रासाद, जरतें कराव्या गुरु प्रसाद ॥एह जएयो पहेलो उझार, सघलोही जाणे संसार ॥ १७ ॥ ॥ ढाल चोथी ॥ राग आशावरी ॥ .. ॥ जरत तणे पाट आठमे, दंमवीर्य थयो रायो जी जरत तणी परें संघ कीयो, शत्रुजय संघवी कहायो जी ॥१॥ शत्रुज उछार सांजलो, शोल महोटा श्रीकारो जी ॥ असंख्याता बीजा वली, ते न कहुं अधिकारो जी ॥श ॥२॥ चैत्य कराव्युं रूपा तणु, सोनानां बिंब सारो जी ॥ मूलगां बिंब मारीयां, पश्चिम दिशि तेणी वारो जी॥श ॥३॥ शत्रं जनी यात्रा करी, सफल कियो अवतारो जी ॥ दमवीर्य राजा तणो, ए बोजो उझारो जो॥शा शो सागरोपमव्य Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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