Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(५) गब खरतर तणो ए, श्रीजिनचंद सूरीश ॥ प्रथम शिष्य श्रीपूज्यना ए, सकलचंद सुजगोश ॥२॥४॥ तास शिष्य जग जाणीयें ए, समयसुंदर उवधाय ॥ रास रच्यो तेणें रूअमो ए, सूणतां आनंद थाय ॥ ॥ श० ॥ १५ ॥ इति श्री शत्रुजयरासः संपूर्णः ॥
॥अथ श्री सिकाचलजीनुं स्तवन ॥ ॥शेव॒जो जोवानुं हो जोर जे जी॥राज जोर जे जी राज ॥ नानीनो किशोर ॥ महाराजा ॥ शेजूंजो० ॥ ॥१॥ सोरठ नेशनो साहेबोजी राज, शेजानो शण गार ॥ महाराजा ॥ कलिमल करिकुल केशरीजी राज, मरुदेवी माता मबार ॥ महाराजा ॥शेजे ॥शातीरथ तीरथ शुं करोजी राज, अवर डे आल पंपाल ॥ म. हाराजा ॥ त्रिजुवन तीरथ एक डे जी राज, श्रीसिका चल सुविशाल ॥ महाराजा शे० ॥३॥ नाग्य होय तो नेटीये जो राज, विमलाचल वारोवार ॥ म हाराजा ॥ जेणे एक वार दीगे नहीं जी राज, अफल तेहनो अवतार ॥ महाराजा शेव्रु० ॥४॥ सत्तर नेव्याशीया समेज) राज, जोर बनी उत्तंग ॥ महारा
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