Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 86
________________ (३) वंश पोरवामें परगमो ए, सोमजी शाह मलार ॥ रूप जी शंघवी करावीयो ए, चोमुख मूल उझार ॥ श० ॥ ॥७॥श्रीजिनराज सूरीश्वरू ए, खरतर गड गणधार ॥ वहाथे जेणें प्रतिष्ठा करी ए, शुज दिवस शुज वार ॥ शाजाचोमुख प्रतिमा चरचीयें ए, जमतीमांहे जला बिंब ॥ पांचे पांमव पूजीयें ए, अदबुद आदि प्रलंब ॥श० ॥ ए॥खरतर वसही खातशु ए, बिब जुहारु अनेक ॥ नेमनाथ चोरी नम ए, टावं अलग नहेग ॥ श० ॥ १० ॥ धर्मधारमाहे नीसहं ए, कुगति करूं अति दूर ॥ आईं आदिनाथ देहरे ए, कर्मकरुं चक चूर ॥ श० ॥ ११ ॥ मूलनायक प्रणमुं मुदा ए, आदि नाथ नगवंत ॥ देव जुहारं देहरे ए, नमतीमांहे जगवं त ॥ श० ॥ १५ ॥ शेर्बुजा उपर कीजीयें ए, पांचे गमें स्नाात्र ॥ कलश अहोत्तरशो करी ए, निर्मल नीरशुंगा त्र॥श ॥ १३ ॥ प्रथम आदीश्वर आगलें ए, पुंमरीक गणधार ॥ रायण तल पगलां वलीए, शांतिनाथ सुख कार ॥ श० ॥ १४ ॥ रायणतले पगलां नर्मू ए, चोमु ख प्रतिमा चार ॥ वीजी में बिंब वली ए, पुंगरीक Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106