Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( ४) गणधार ॥ श० ॥ १५ ॥ सूरजकुंग निहालीयें ए, अति जली उलखाजोल ॥ चेलण तलाइ सिफशिला ए, अंगे करीशुं उबोल ॥ श० ॥ १६ ॥ आदिपुर पाजें उतरुंए, सीवर लहुं विश्राम ॥ चैत्य प्रवामी श्णी परें करी ए, सीधां वांडित काम ॥ श ॥ १७ ॥जात्रा करी शत्रुजा तणी ए, सफल कीयो अवतार ॥ कु शल देमशु आवया ए, संघ सह परिवार ॥ श० ॥ ॥ १७ ॥ शत्रुजय महातम सांजली ए, रास रच्यो अ नुसार ॥ जो नवि गावे नावणुं ए, आनंद होय अपा र ॥श ॥ १५ ॥ शत्रुजय रास सोहामणो ए, सांज लजो सहु कोय ॥ घर बेगं जणे नाव ए, तसु जात्रा फल होय ॥ श ॥ २० ॥ जणशाली थिरु अतिजलो ए, दयावंत दातार ॥ शत्रुजय संघ करावीयो ए, जेस लमेर मजार ॥ श० ॥ २१॥ शत्रुजय माहात्म्य ग्रंथ थी ए, रास रच्यो अनुसार ॥ नाव जक्ते जपतां थका ए, पामीजें जवपार ॥ श० ॥ ॥ संवत शोल ब्या शीयें ए, श्रावणशुद्धि सूखकार ॥ रास नएयो शजा तणो ए, नगर नागोर मकार ॥ श० ॥ २३ ॥ गिरुड
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