Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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( ) तिक्रम्या, दमवीरजथी जे वारो जी ॥ ईशाने करावीयो, ए त्रीजो उझारो जी ॥श ॥५॥ चोथा देव लोकनो धणी, माहेंद्र नाम उदारो जी ॥ तिणे शत्रुजयनो करावीयो, ए चोथो उछारो जी॥श०॥६॥पांचमा देवलोकनो धणी, ब्रह्मेद्र समकित धारो जी ॥ तिणे शत्रुजयनो करावीयो, ए पांचमो उकारोजी श० ॥ ७॥ जवनपति छ तणो कीयो. ए हो उहारोजी ॥ चक्रवर्ति सगर तणो कियो, ए सातमो उहारोजी ॥श ॥७॥ अभिनंदन पासें सुएयो, शत्रुजयनो अधिकारो जी ॥ व्यंतरेंद्रे करावीयो, ए आरमो उझारोजी ॥ श० ॥ ए ॥ चंद्रप्रन खामीनो पोतरो, चंद्रशेखरनाम महारो जी ॥ चंद्रयशरायें करावियो, ए नवमो नकारों जी ॥ श० ॥ १० ॥ शांतिनाथनी सुणो देशना, शांतिनाथ सुत विचारोजी ॥ चक्रधर राय करावीयो, ए दशमो उधारो जी ॥ श० ॥११॥ दशरथ सुत जग दीपतो, मुनिसुव्रत सुवारो जी ॥ श्रीरामचंद्रे करावीयो, ए ग्यारमो उकारोजी ॥ श० ॥१शापांमव कहे अमें पापीया, किम बुटुं मोरी मायो जी ॥ कहे
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