Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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... (१२) आदर घणे ॥ चंयशा राजा मनरंज, नवमो उद्धार करयो शत्रुज ॥ ७५ ॥ श्रीशांतिनाथ शोलमा स्वामी, रह्या चोमासु विमल गिरि गम ॥ तस सुत चक्रायुध राजीयो, तिणे दशमो नकारज कियो ॥ १६ ॥ कीयो शांतिप्रासाद उदाम, हवे दशरथसत राजा राम ॥ एकादशमो करयो उद्धार, मुनिसुव्रतवारे मनोहार ॥ ७ ॥ नेमिनाथ वारे जोधार, पांमव पांच करे नकार ॥ शत्रुजय गिरि पूगी रली, ए द्वा शमो जाणो वली ॥॥
॥ ढाल आठमी ॥ राग वैरामी ॥ ॥ पांमव पांच प्रगट हवा, खोइ अदोहिणी अढार रे ॥ पोतानी पृथिवी करी, मायने कीधो जुहाररे ॥ ए॥ कुंता रे माता श्म नणे, वत्स सांजलो याप रे ॥ गोत्र निकंदन तुमें करयो, ते केम बुटशो पोप रे. ॥ कुं० ॥ ७ ॥ पुत्र कहे सुणो मायमी, कहो अम सोय उपाय रे ॥ ते पातक किम जुटीयें, वलतुं पत्नणे माय रे ॥ कुं० ॥ ॥ श्रीशत्रुजे तीरथ जश् सूरजकुंमें स्नान रे ॥ झपन जिणंद पूजा करो, धरो
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