Book Title: Shatrunjay Tirthmala Ras ane Uddharadikno Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(१६) कर्मक्षय करवा, घरे बेगं जपो नाम ॥ १५ ॥ चो वशीय ण गिरि, नेम विना त्रेवीश ॥ तीरथ नूर जाणी, समोसरया जगदीश ॥ १६ ॥ पुंमरिक पंच कोमीशु द्राविम वारिखिम्त जोम ॥ काति पूनम सी धा, मुनिवरशुं दश कोम ॥ १०७ ॥ नमि. विनमि वि द्याधर, दोय कोमि मुनि संयुत ॥ फागुण शुदि दश मी, णें गिरि मोद पहत ॥ १०७ ॥ श्री शश नवंशी नृप, जरत अमंख्याता पाट ॥ मुक्तं सर्वार्थ, एह गिरि शिवपुर वाट ॥ १०॥ ॥ राममुनि नरतादि क, मुनि त्रण कोमीशुं एम ॥ नारदशु एकाएं, लाख मुनीश्वर तेम ॥ ११० ॥ मुनि सांब प्रद्युम्नशुं, सामी
आठ कोमी साध ॥ वीश कोमीशुं पांमव, मुगतें गया निराबाध ॥ १११ ॥ वली थावञ्चासुत, शुक मुनि वर श्णे गम ॥ एम सहस्स\ सिझा, पंचशत सै लंग नाम ॥ ११ ॥ श्म सिझा मुनिवर, कोमाकोमी अपार ॥ वली सीऊशे इणे गिरि, कुण कही जाणे पार ॥ ११३ ॥ सात ब5 दोय अहम, गणे एक लाख नव कार ॥ शत्रुजय गिरि सेवे, तेहने दोय अवतार ॥११४॥
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